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स्वच्छ भारत का सपना अधुरा !
पिछले वर्ष 2 अक्टूबर 2014 को देश के प्रधानमन्त्री ने
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की ।स्वच्छ भारत
अभियान राष्ट्रिय स्तर का अभियान बना इस अभियान में
देश की नामचीन हस्तियों के साथ साथ बड़े बड़े
उद्योगपति ,नेता ,सरकारी कर्मचारी,शिक्षक ,स्कूली छात्र
छात्रओ ने अपने हाथ में झाड़ू थाम लिया ।इस अभियान
का देश के आम लोगो ने भी समर्थन किया और सम्पूर्ण
भारत को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया लेकिन यह
अभियान महज दिखावा बनकर रह गया ।आज भी स्थिति
जस की तस बनी हुयी है। सार्वजानिक जगहों पर कूड़ा
फेंकना ,जहाँ तहाँ थूकना और किसी अन्य रूप में गन्दगी
फेलाना अभी तक बंद नही हुआ ।स्वच्छ भारत अभियान को
एक संकल्प के रूप में पेश किया गया था लेकिन यह सिर्फ
सुर्खियाँ बटोरने के साथ साथ अखबारों में फोटो खिचवाने
तक ही सिमित रह गया । शहरी क्षेत्रो के साथ साथ
ग्रामीण क्षेत्रो की भी स्थिति दयनीय है ।आज भी देश
का हर दूसरा व्यक्ति खुले में सोच जाता है। खुले में सोच
अंतराष्ट्रीय स्तर पर शर्म की बात है ।स्वच्छ भारत से
विदेशी सेलानियाँ भी भारत की ओर आकर्षित होंगे जिससे
देश को पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगी और रोजगार के
अवसर भी सृजित होंगे ।स्वच्छ भारत अभियान के उधेश्यो
में कुछ महत्वपूर्ण उधेश्य खुले में सोच को समाप्त करना
,अस्वास्थ्यकर शोचालय को फ्लश शोचालय में परिवर्तित
करना ,ठोस और तरल कचरे का पुनः उपयोग ,लोगो को
सफाई के प्रति जागरूक करना आदि है।
भारत सरकार ने 2019 तक यानि गाँधी जी की 150 वीं
जयंती तक सम्पूर्ण भारत को स्वच्छ बनाने की निर्णय
लिया है ।जरूरत है स्वच्छ भारत अभियान को एक चुनोती
स्वरुप स्वीकारने की तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा
होगा ।देश की आम से लेकर खास लोग अपनी भागीदारी
सुनिशित कर इस अभियान में जुडकर भारत को स्वच्छ
तथा निर्मल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं
प्रताप तिवारी
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