- 39 Posts
- 5 Comments
सुचना का अधिकार कानून के समक्ष समस्याएं !
12 अक्टूबर को पुरे भारत में सुचना अधिकार दिवस मनाया जायेगा ।12 मई 2005 में सुचना का अधिकार कानून सांसद में पारित हुआ तथा 12 अक्टूबर 2005 में इसे जम्मू कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में लागु कर दिया गया । विश्व में सबसे पहले यह कानून स्वीडन में बना बाद में कनाडा,फ़्रांस ,मेक्सिको और भारत में बना ।इस कानून के बनने से आम आदमी को सरकारी काम काज से सम्बन्धित तथा अन्यसुचना जानने का अधिकार प्राप्त हो गया ।सरकारी कामो में पारदर्शिता लाने में इस कानून की अहम भूमिका है ।इस कानून के सहयोग से सुचना प्राप्त कर कई भ्रस्टाचार के मामले उजागर हुए तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सुचना का अधिकार कानून कारगर साबित हुआ ।सुचना अधिकार कानून के दायरे में सभी सरकारी विभाग के साथ साथ सरकारी सहायता से चल रही गेर सरकारी संगठन, शिक्षण संस्थान आदि विभाग सम्मिलित हैं ।इस कानून के समक्ष कई समस्याएं हैं व्यापक प्रचार के आभाव में आज भी इस कानून की जानकारी बहुत कम लोगो को है ।जनता को सुचना प्राप्त करने का अधिकार तो प्राप्त हो गया लेकिन कानून की कुछ खामियों की वजह से लोगो को समय पर सुचना नही मिल पाती है ।इस कानून का दुरूपयोग भी हो रहा है कुछ लोग सरकारी पदाधिकारी या किसी अन्य को ब्लेकमेल करने के उधेश्य से इस कानून का उपयोग कर रहे हैं ।कानून को सुचारू रूप से लागु करने में कई समस्याएं मुख्य रूप से बाधक हैं ।पहली समस्या केन्द्रीय सुचना आयोग पिछले कई महीनों से मुख्य सुचना आयुक्त के बगेर कार्य कर रहा है ।वर्तमान समय में केन्द्रीय सुचना आयोग के समक्ष शिकायत और अपील की कुल 40 हजार से अधिक आवेदन लम्बित हैं ।दूसरी बड़ी समस्या राज्यों में सुचना आयुक्तों की कमी है जिसकी वजह से लोगो की शिकायतों का निपटारा तय समय सीमा के अन्दर नही हो पाता ।सुचना अधिकारी द्वारा तय समय सीमा में अगर सुचना उपलब्ध नही करायी जाती है तो आयोग द्वारा 250 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से 25000 तक जुर्माना लगाये जाने का प्रावधान है लेकिन आयोग द्वारा बहुत कम मामलो में जुर्माना लगाया जाता है जिसकी वजह से कार्यालयों में सुचना देने में टालमटोल रवेया अपनाया जाता है ।तीसरी समस्या है कानून की धारा4 के तहत सुचना सभी विभाग को स्वयं सार्वजनिक कर देनी चाहिए ताकि आम लोगो को आवेदन देने की जरूरत ना पड़े लेकिन इसका भी पालन अधिकतर विभाग द्वारा नही किया जा रहा है । सुचना देने के प्रति सरकारी विभाग कितने सजग हैं इसका अनुमान किसी भी विभाग से सुचना प्राप्त करने के लिए एक आवेदन देकर लगया जा सकता है ।कई विभागों द्वारा सुचना देना तो दूर की बात अपने विभाग के जन सुचना पदाधिकारी और प्रथम अपील पदाधिकारी का नाम पद नाम भी सार्वजनिक नही किया गया है ।विभाग और आयोग के इस ढुलमुल रवेये से लोगो को एक मामूली सुचना प्राप्त करने के लिए काफी जदोह्द करनी पडती है तथा कई सालो तक सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है जो कि कानून के खिलाफ है ।सरकार द्वारा सुचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जानी चाहिए तथा लम्बित मामलो का निपटारा के साथ साथ नये आवेदकों को तय समय सीमा अंदर सुचना उपलब्ध करने के लिए विशेष पहल करने की आवश्यकता है ।
Read Comments