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आर्थिक रूप से पिछडो को मिले आरक्षण का लाभ !
आज आरक्षण के नाम पर भारत में आन्दोलन चल
रहे हैं अनेक जातियां आरक्षण की मांग पर अड़ी हैं ।
वोट बैंक के लिए राजनितिक पार्टियाँ हिम्मत नही
जूटा पाते आरक्षण को लेकर कोई ठोस निर्णय लेने
में । भारत के सविंधान के अनुच्छेद 15(1) में स्पष्ट
रूप से यह लिखा है कि राज्य जाति ,धर्म
,लिंग,नस्ल,जन्म स्थान को लेकर किसी के साथ
भेदभाव नही करेगा ।अनुच्छेद 16(4) में आरक्षण के
कानून बनाने का अधिकार भी राज्य को दिया गया है
लेकिन इसमें पिछड़ी जाती का उल्लेख नही किया गया
है बल्कि पिछड़ा वर्ग का उल्लेख किया गया है ।
राजनीति में वोट बैंक के लिए जाती आधारित
आरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है ।देश की
सम्पन्न जातियां भी एकजुट होकर आरक्षण की मांग
करने लगी है ।आरक्षण का लाभ किसे मिल रहा है
इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है ।आज
भी सरकारी नोकरीयो में आधे से अधिक आरक्षित
सीटे खाली पड़ी हैं ।जिस व्यक्ति या वर्ग केलिए
आरक्षण वर्तमानमें लागु है अगर उन्हें आरक्षण का
वास्तविक लाभ मिलता तो आज स्थिति कुछ और
होती । वर्तमान में पिछड़ी जातियों में 90 % लोग
आज भी बिना जमीन के, बिना नोकरी के , कुपोषित
,असिक्षित ,चिकित्सा के आभाव में मजदूरी करने को
विवश हैं तो आरक्षण किस काम का ? स्ताधारी
लोग पिछडो की भलाई से जायदा तरहीज अपने वोट
बेंक को देते हैं ।सम्पन्नता देश के 1%लोगो में
सिमट कर रह गयी है बाकी 99% इसे हासिल करना
चाह रहे हैं ।इस सम्पन्नता और असम्पन्नता के बीच
की खायी को पाटने के लिए आरक्षण को लागू किया
गया लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है । अगर
आरक्षण लागू ही करना है तो आरक्षण के समाजिक
मापदंड को हटाकर आर्थिक कर दिया जाये ।जाती
का पैमाना समाप्त कर आभाव के पैमाने के आधार पर
आरक्षण लागू हो और सविधान सम्मत भेदभाव को
छोड़कर आर्थिक रूप से पिछडो को आरक्षण दिया
जाये ।
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