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दाल पर भी आफत !
दाल की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से थाल से दाल गायब हो गयी है ।पहले प्याज ने रुलाया अब दाल रोटी पर भी आफत आ पड़ी है ।दाल भारतीय खाधान्न की प्रमुख सामग्री है ।शाकाहारी लोगो के लिए यह प्रोटीन प्राप्त करने के लिए सबसे बेहतर खाधान्न है ।दाल से अन्य शाकाहारी खाधान्न चीजो से अधिक मात्रा में प्रोटीन मिलता है । दाल को उच्च वर्ग ,मध्य वर्ग तथा निम्न वर्ग सभी वर्ग खाते है। राष्ट्रीय स्तर पर दाल की किल्लत की वजह से दाल की कीमत आसमान छू रही है ।दाल की किल्लत की मुख्य वजह दलहन की खेती का कम होना है ।फसल वर्ष 2014-15 में लगभग 20 लाख टन कम दाल का उत्पादन हुआ ।दाल की कीमतों में बढ़ोतरी की दूसरी मुख्य वजह जमाखोरी है ।जमाखोरो ने हजारो टन दाल जमा कर लिया है जिससे बाजार में दाल की कमी हो गयी और कीमत बढ़ गयी ।स्थानीय प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए लगातार छापेमारी की और 13 राज्यों से लगभग 75 हजार टन दाल जमाखोरो से जब्त किया ।प्रशासन का यह काम सराहनीय है अगर प्रशासन द्वारा समय समय पर जमाखोरो के यहाँ छापेमारी की जाये तो आम जन का जरूरी खाधान्न इन जमाखोरो के हाथ नही लग पायेगा ।।महंगाई से त्रस्त आम जन की थाली से पहले ही प्रोटीन युक्त खाधान्न सामग्री गायब है अब ऊँची कीमत की वजह से दाल भी गायब हो गयी ।ऐसे में आम जन को बिना प्रोटीन युक्त भोजन से ही संतुष्ट होना पड़ रहा है ।हाल के वर्षो में दलहन उत्पादन में झारखण्ड को 3 बार कृषि कर्मण्य पुरष्कार मिल चूका है परन्तु इस वर्ष झारखण्ड में जमाखोरी की वजह से दाल की कमी हो गयी है ।और बढ़े हुए दाल की कीमतों से झारखण्ड भी अछूता नही रहा । झारखंड के ं भी कई जिलों में प्रशासन द्वारा छापेमारी कर 2820 क्विंटल दाल जब्त किया फिर भी दाल की कीमत में कोई खासा राहत नही मिली । आम आवाम को बिना दाल के ही संतुष्ट रहना पड़ रहा है ।सरकार द्वारा तमाम प्रयासों के बावजूद बढती दाल की कीमत पर कोई प्रभाव नही पड़ रहा है ।दाल की बढती कीमत की वजह से किसान और आम जन दोहरी मार झेल रहे हैं एक और ओसत से कम वर्षा के कारण किसानो की आधी से अधिक फसल नष्ट हो गयी है वहीँ दूसरी और महंगाई और दाल की बढती दाम की वजह से दाल रोटी के जुगाड़ में भी मुश्किल हो रही है ।
इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए सरकार को कई तरह का प्रयास करने की जरूरत है दलहन की खेती करने वाले किसानो को प्रोत्साहित करने के साथ साथ कम ब्याज दर किसानो को ऋण मेहेया करना होगा ताकि किसान बिज ,खाद ,कीटनाशक तथा अन्य जरूरी कृषि उपयोगी सामग्री खरीद पाए ।सिंचाई की सुविधा करनी होगी ताकि कम वर्षा होने पर भी किसानो की फसल बर्बाद ना हो ।सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मुल्य बढ़ाया जाये ताकि दलहन की खेती छोड़ चुके किसान फिर से खेती की और आकर्षित हो ।भविष्य में इस तरह की समस्या उत्पन्न नही हो इसके लिए सरकार को उपरोक्त तमाम प्रयासों को करने की आवश्यकता है ।
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