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बिहार में शराब बंदी का फेसला सराहनीय ।
बिहार में अगले वर्ष अप्रेल माह से शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया है ।नितीश कुमार ने अपने चुनावी वादे को निभाते हुए यह घोषणा की है ।बिहार की जनता के लिए यह घोषणा काफी हितकर है ।बिहार की तर्ज पर अन्य राज्यों को भी शराबबंदी पर विचार करने की आवश्यकता है । बिहार राज्य में शराबबंदी के निर्णय से पूर्व वर्ष े 1960 में गुजरात राज्य में शराबबंदी की गयी थी ।वर्तमान में गुजरात के साथ साथ नागालेंड ,मणिपुर और लक्ष्यद्वीप में शराब प्रतिबंधित है । बिहार सरकार के इस निर्णय को अमल में लाना बिहार के लिए किसी चुनोती से कम नही है ।बिहार की सीमाए कई राज्यो से सटी हैं ऐसे में शराब तस्करों द्वारा अवेध रूप से अन्य राज्यों से शराब बिहार लाने की कोशिश की जाएगी ।इन तस्करों द्वारा प्रशासन की मिली भगत से अन्य राज्यों से लाये गये अवेध शराब को ऊँचे दामो में बेचा जायेगा और राज्य में शराब का सेवन चोरी छुपे चलता रहेगा । अगर बिहार से सटे अन्य राज्य भी शराबबंदी को अपने राज्य में लागु कर दे तो अन्य राज्यों के साथ साथ बिहार भी शराब सेवन के कुप्रभाओ से बच जायेगा । बिहार सरकार को प्रति वर्ष शराब बिक्री से 4000 करोड़ रूपये टेक्स के रूप में आमदनी होती थी जिससे अब हाथ धोना पड़ेगा । गुजरात राज्य में वर्ष 1960 से शराबबंदी के बावजूद राज्य में लगभग 61 हजार लीगो को दवा के रूप में शराब खरीदने का परमिट सरकार द्वारा प्रदान किया गया है ।हरियाणा तथा आंध्र प्रदेश में भी शराबबंदी लागु की गयी थी जिसे बाद में हटा दिया गया ।ऐसे में बिहार राज्य में शराब बंदी कितनी कारगर होती है यह समय बतायेगा ।शराब का सेवन लोगो को समाजिक ,शारीरिक तथा आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाती है । बढ़ रही आपराधिक मामले ,महिला हिंसा ,सड़क दुर्घटना इत्यादि शराब सेवन से बढ़ रही है । आज जिस आधुनिकता की और देश बढ़ रहा है ऐसे में शराब बंदी के खिलाफ एक बड़ा तबका है । फिल्मो और गानों में शराब सेवन को दिखाने से युवा शराब की और आकर्षित हो रहे हैं और शराब की लत को गलत ना मानकर आधुनिक मान रहे हैं ।
आये दिन जहरीली शराब सेवन से लोगो की मोत हो रही है ।शराब सेवन का दंश सबसे अधिक घरेलु महिलाओ को झेलना पड़ रहा है । बिहार राज्य की तरह अगर अन्य सभी राज्यों में शराब बंदी लागु हो जाये तो लाखो घरो की खुशियाँ वापस आ जाएँगी।
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