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मनरेगा से नहीं हो रहा मजदूरों का भला
केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है मजदूरों के पलायन को रोकने के उद्देश्य से यह योजना लागू की गई थी ताकि मजदूरों को अपने गांव घर के आस पास काम मिल सके लेकिन सही क्रियान्वयन के अभाव में मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिल सका ।इस वर्ष मनरेगा योजना के लागू हुए १० साल पूरे हो गए बावजूद आज भी मजदूर हित में बनाई इस योजना का उचित लाभ मजदूरों को नही मिल पा रहा है ।इस योजना के अंतर्गत मजदूर को १०० दिन का रोजगार सुनिश्चित किया गया है और रोजगार नहीं देने के एवज़ में सरकार द्वारा मजदूरों को बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है। इस महत्वाकांक्षी योजना का सही क्रियान्वयन नहीं होने की वजह से मजदूर को ना तो काम मिल पा रहा है ना ही मनरेगा से निर्मित सिचाई कूप या तलाब का उपयोग हो रहा है । बिचौलिया प्रथा के हावी होने के कारण सिचाई कूप को सिचाई के उद्देश्य से निर्मित नहीं किया गया बल्कि ठेकेदारी के उद्देश्य से जहाँ तहां कूप का निर्माण कर दिया गया है ।यह सब प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही या मिली भगत से संभव हुआ है । मनरेगा कानून के तहत योजना स्थल का चुनाव गांव में ग्राम सभा के माध्यम से करना है लेकिन ग्राम सभा सिर्फ कागजों में ही होती है । मनरेगा मजदूरों के पलायन को रोकने के उद्देश्य से बनाई गई थी लेकिन मजदूरों का पलायन आज भी जारी है । मनरेगा में मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी सरकार द्वारा जितनी तय की गई है मजदूरों को उतनी मजदूरी नहीं मिलती । २०-३० प्रतिशत मजदूरी भ्रष्टाचार और पीसी की भेंट चढ़ जाती है । प्रत्येक वर्ष मनरेगा का समाजिक अकेक्षण करने का प्रावधान है परन्तु अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के मामले सामने नहीं आते । मजदूर मनरेगा मे काम करने से कतराते है इसकी वजह समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होना है ।मजदूरो को पोस्ट आफिस -बैंक एंव प्रखंड कार्यालय का मजदूरी भुगतान के लिए चक्कर लगाना पड़ता है। रोजगार गारंटी कानून के तहत मजदूरों का अधिक्तम ७ दिनों के अंदर मजदूरी भुगतान का प्रावधान है लेकिन इस प्रावधान के अनुरूप भुगतान नहीं होता है। हर वर्ष केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को मनरेगा के तहत जितनी राशि दी जाती है राज्य सरकार सारा पैसा खर्च नहीं कर पाती है । राज्यों के लिए मनरेगा महत्वपूर्ण है लेकिन राशि का उपयोग नहीं कर पाना दुर्भाग्यपूर्ण है मजदूर मजदूरी के अभाव में दर दर भटकने को मजबूर हैं जिसे रोकने में राज्य सरकार विफल है ।राज्य सरकार को समय रहते चेतने की आवश्यकता है और मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना को भ्रष्टाचार मुक्त कर धरातल पर उतारे ताकि ग्रामीण विकास के साथ साथ मजदूरों को अपने गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो सके।
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