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मंहगाई की मार से’ उड़ता मध्यम वर्ग ‘ ।
मंहगाई के मुद्दे भुनाकर केंद्र में भाजपा की सरकार तो बन गई लेकिन सरकार मंहगाई पर अंकुश लगाने में विफल है। हालांकि सरकार बनने के बाद दाल ,चीनी तथा कुछ अन्य चीजों को छोड़कर खाने पीने के समान आम आदमी के पहुँच में थी लेकिन कुछ दिनों से फिर से मंहगाई बढ़ने से आम जन त्रस्त है।आमजन के पास सरकार को कोसने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।गरीबों की थाली में तो हरी सब्जी पहले भी नहीं थी परन्तु अब मध्यम वर्ग की थाली से हरी सब्जी गायब हो रही है। टमाटर, आलू आदि के दाम आसमान छू रहे हैं। जमाखोरों की वजह से दलहन और तिलहन भी मंहगी हो गई है । एक आंकड़े के अनुसार वर्तमान में 500 मैट्रिक्स टन दाल की कमी थी। लेकिन विशेष छापेमारी टीम द्वारा पूरे देश में छापेमारी कर 134000 मैट्रिक्स टन दाल जमाखोरों से जब्त किया गया ।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि मंहगाई बढ़ने की मुख्य वजह क्या है? जो भी हो जनता को नई सरकार से बहुत उम्मीद थी जिसपर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।जमाखोरों द्वारा खाद्य पदार्थों की जमाख़ोरी कर पहले बाजार में अभाव पैदा किया जाता है फिर मनमुताबिक दर निर्धारित कर चीजों को बाज़ार में उपलब्ध करा दिया जाता है सरकार को जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए विशेष नीति बनाने की जरूरत है ताकि जमाख़ोरी के कारण खाद्य पदार्थों के दाम नहीं बढे़ ।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल का दाम जब कम हुआ तो उसकी तुलना में तेल कंपनियों द्वारा मामूली कमी की गई थी लेकिन हाल में अचानक पेट्रोल,डीजल के दामों में बढ़ोतरी से जनता की जेब ढीली पड़ गई है। एकतरफ खाद्य पदार्थ ,सब्जी मंहगी दूसरी तरफ यात्रा भी मंहगी हो गई है इसप्रकार आम जनता दोहरी मार झेलने को विवश हैं।चुनावी जुमलों को सुनाकर वोट तो ले लिया गया और बाद में जनता को ढेंगा दिखा दिया गया। सरकार हरित क्रांति के साथ साथ तिलहन की खेती को भी बढ़ाने की कोशिश करती तो आज थाली से दाल दूर नहीं होता।
इस वर्ष अच्छे मानसून का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है।लगातार दो वर्षों तक सूखे की मार झेल चुके किसानों के लिए यह अच्छी खबर है।अच्छी बारिश से अच्छे फसल उत्पादन के कायास लगाये जा रहे है।फसलों के अधिक उत्पादन से मंहगाई कुछ कम हो सकती है।
जितनी चर्चा फिल्म ‘उड़ता पंजाब ‘ को लेकर हुई मीडिया ,न्यायालय,राजनीतिक दलों,सभी ने अपने अनुसार फिल्म के बारे में टिप्पणी की और इस मुद्दे को सुर्खियों में रखा उतनी ही सुर्खियाँ यदि मंहगाई जैसे मुद्दे को मिलती तो आज मंहगाई के कारण ‘उड़ता मध्यम वर्ग ‘ नहीं होता।
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